Tuesday, March 29, 2016

ज़मीर हम दाग दार नहीं करते

ज़मीर हम दाग दार
नहीं करते !

हम मुसलमान है लाशो का
व्यापार नहीं करते !

हम अपनी ही नहीं गैरो कि
बेटिओ कि भी हिफाज़त
करते है !

हम संत आशाराम जैसे
चमत्कार नहीं करते !

उठा कर किसी कि मज़बूरी का
फायदा !

बहु 'बेटिओ के साथ बलात्कार
नहीं करते !

वे और होंगे जो उजाड़ दिया
करते है गुलशन !

मुसलमान कभी गुल के खार
नहीं करते !

क्यों दे हम किसी को देश
भक्ति का सबुत !

हम हिन्द कि इज़्ज़त को तार
तार नहीं करते !

हम शेर ए मोहम्मदी है !

ये जान लो !

हम सीने पे करते है चुपके वार
नहीं करते !

तुम्हारी कलम उगलती है सिर्फ
नफरत का ज़हर !

मगर हम अपनी कलम कि
स्याही बेकार नहीं करते !

सियासतों के लिए काट देते
हो अपनों का गला !

होता नहीं फिर भी तुम्हारा
भला !

हम बादशाह थे !
बादशाह है !
और बादशाह रहेंगे !

हम तुम्हारी कुर्सियों का खुद
को तलबग़ार नहीं करते !

वक़्त आया तो हिन्द के लिए
लगा देंगे जान कि बाज़ी !

हम मुस्लमान है इंकार नहीं
करते !!!!!

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