ज़मीर हम दाग दार
नहीं करते !
हम मुसलमान है लाशो का
व्यापार नहीं करते !
हम अपनी ही नहीं गैरो कि
बेटिओ कि भी हिफाज़त
करते है !
हम संत आशाराम जैसे
चमत्कार नहीं करते !
उठा कर किसी कि मज़बूरी का
फायदा !
बहु 'बेटिओ के साथ बलात्कार
नहीं करते !
वे और होंगे जो उजाड़ दिया
करते है गुलशन !
मुसलमान कभी गुल के खार
नहीं करते !
क्यों दे हम किसी को देश
भक्ति का सबुत !
हम हिन्द कि इज़्ज़त को तार
तार नहीं करते !
हम शेर ए मोहम्मदी है !
ये जान लो !
हम सीने पे करते है चुपके वार
नहीं करते !
तुम्हारी कलम उगलती है सिर्फ
नफरत का ज़हर !
मगर हम अपनी कलम कि
स्याही बेकार नहीं करते !
सियासतों के लिए काट देते
हो अपनों का गला !
होता नहीं फिर भी तुम्हारा
भला !
हम बादशाह थे !
बादशाह है !
और बादशाह रहेंगे !
हम तुम्हारी कुर्सियों का खुद
को तलबग़ार नहीं करते !
वक़्त आया तो हिन्द के लिए
लगा देंगे जान कि बाज़ी !
हम मुस्लमान है इंकार नहीं
करते !!!!!